Best 151+ Bachpan Shayari Quotes in Hindi | बचपन की मासूमियत शायरी

अपनी उम्र से अनजान वो बच्चा..!!
खेलने की उम्र में खिलौने बेच रहा था..!!

वो बच्चा मजबूर मज़दूर का है..!!
उसका बचपन भी हमारी जवानी से भारी है..!!

कमाल होता है उन गरीब बच्चों का बचपन भी..!!
वो चलना सीखते ही घर चलाना सीख लेते हैं..!!


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उस बच्चे का तो बचपन भी जाया है..!!
जिसके नन्हे सर पर गरीबी का साया है..!!

किसने कहा बचपन आज़ाद होता है..!!
वो बच्चा अपनी गरीबी के हालातों का गुलाम था..!!

नाम उस गरीब बच्चे का माँ-बाप ने विजय रखा था..!!
पर अफ़सोस जीत से अभी भी काफी दूर था..!!

बिना किस्से कहानी सुने नींद ना आना..!!
माँ की गोद में थक हार कर सो जाना..!!

Bachpan Shayari Quotes in Hindi

रब से है एक ही कामना..!!
काश लौट आए मेरा बचपना..!!

वो बचपन तो कल ही आया था..!!
जिसने हमें मुस्कुराना सिखाया था..!!

हे ईश्वर! मुझे मेरा बचपन लौटा दो..!!
एक बार फिर से मुझे बच्चा बना दो..!!

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हर पहलु जीवन का बचपन में बस खेल लगता था..!!
मैदान घर लगता था और घर जेल लगता था..!!

हर बात को बचपन में मज़ाक में लिया करते थे..!!
इन नन्हे गुलाबी होठों को बस हसने का बहाना चाहिए होता था..!!

पंछी के पंखो से भी हल्का था बचपन..!!
ना मुझ पर कोई ज़िम्मेदारी थी ना मैं ज़िम्मेदार था..!!

यह ज़िन्दगी खूबसूरत ना कहलाती..!!
अगर बचपन इसका हिस्सा ना होता..!!

बचपन की मासूमियत शायरी

बचपन की बेहद खूबसूरत बात यह थी की..!!
इसका हर एक पल बेहद खूबसूरत होता था..!!

कागज़ की कश्तियों ने उस दिन से तैरना छोड़ दिया है..!!
जिस दिन से बच्चे ने बचपना करना ही छोड़ दिया..!!

बचपन में माँ से मिले दो रूपए जितने सपने खरीद सकते थे..!!
आज खुद के कमाए लाखों रूपए भी उतने सपने नहीं खरीद सकते..!!

बचपन की बरसात में हर कोई भीगा होगा..!!
पर कोई उस बरसात से बीमार नहीं हुआ..!!

राजा की तरह बचपन था मेरा..!!
माँ की गोद मेरा सिंहासन हुआ करता था..!!

बचपन वो था जब खिलोने टूटने पर रोना आता था..!!
और जवानी वो है जब दिल टूटने पर भी रो नहीं पाते..!!

वो बचपन क्या बीता जब से..!!
तब से सुकून का एक पल नहीं आया..!!

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आज सात बजे बारिश तो हुई..!!
पर छुट्टी का बहाना बनाने के लिए स्कूल नहीं था..!!

जज़्बा बचपन का वो कहाँ खो गया ज़िन्दगी में..!!
जब पतंग भी उड़ानी थी तो सबसे ऊंचाई पर..!!

काफी रोता था बचपन में एक छोटी सी खंरोच पर..!!
आज दिल भी टूट जाता है तो आँखों को पता नहीं लगने देता..!!

हाथ गंदे रहते थे मिटटी से पर दिल साफ़ होता था..!!
सारी गलती मेरी होती थी पर फिर भी सब माफ़ था..!!

कल की फ़िक्र करने का वक़्त ही कहाँ था..!!
मुझे तो बस छत पे पतंग उड़ाने के वक़्त की फ़िक्र थी..!!

आज भी रविवार हर रविवार को आता है..!!
पर पहले जैसा बच्चों का झुण्ड पार्क में दिखाई नहीं देता..!!

बच्चों की आँखों ने ख़्वाब देखना बंद कर दिया है..!!
अब उनके सपने मोबाइल ही पूरे कर देता है..!!

बचपन की यादें इन हिंदी

आज कल हर बच्चे पर ऐसे बोझ बना रखा है..!!
जैसे सबसे पहले वही बड़ा होने वाला है..!!

जाने कब बीत गए वो दिन बचपन के..!!
ना खबर हुई ना सबर हुआ..!!

स्कूल की सजा भी मज़ा लगा करती थी दोस्तों के साथ में..!!
कुछ तो बात ज़रूर थी उस बचपन की बात में..!!

हर दिन तो नहीं याद मुझे बचपन का..!!
पर यादें सारी मुझे याद है बचपन की..!!

दुआ की थी बचपन में की जल्दी बड़ा हो जाऊं..!!
आज सोचता हूँ न जाने क्या सोच कर मैंने वो दुआ की थी..!!

छोटी-छोटी बातों पर हंस देना बस बचपन में आता है..!!
बड़े क्या हो गए बस बड़ी-बड़ी बातों के मायने रह गए..!!

खेलते कम और कूदते ज्याद थे बचपन में..!!
शायद वजह कंधो पर बोझ की कमी थी..!!

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बचपन में ऐसा रोता था की पूरा मोहल्ला जान जाता था..!!
और अब रोता हूँ तो आँखों को भी खबर नहीं होती..!!

शायद बचपन सबका इसलिए ज़बरदस्त होता है क्यूंकि..!!
बचपन में ज़िम्मेदारी निभाने की कोई ज़बरदस्ती नहीं होती..!!

बचपन की याद मुझे इतना सताती है..!!
इस बार लौटेगा तो जाने नहीं दूंगा..!!

आखरी बचपना मैंने बचपन में किया था..!!
जब से बड़ा हुआ हूँ सिर्फ गलतियां की है..!!

कभी कंचे तो कभी लट्टू बचपन में खिलौने कम नहीं थे..!!
पर बचपन के दिन काफी कम थे..!!

दिन बचपन के किसी को ठीक से याद नहीं रहते..!!
पर याद बचपन के दिनों को सब बहुत ठीक से करते हैं..!!

बचपन में बड़ा बेसब्र था बड़ा होने को..!!
क्या करे काफी मासूम हुआ करते थे हम बचपन के दिनों में..!!

बचपन शायरी 2 लाइन

वो बचपन था या सपना आज भी यकीन नहीं होता..!!
उस दौर हक़ीक़त भी सपनों से हसीं हुआ करती थी..!!

मैं ने बचपन में अधूरा ख़्वाब देखा था कोई..!!
आज तक मसरूफ़ हूँ उस ख़्वाब की तकमील में..!!

हसरतें हस्ती बनने की नहीं मस्ती करने की हुआ करती थी..!!
उस दौर में मेरी उम्र यही कुछ 6-7 साल की हुआ करती थी..!!

क्या खूब बीता वो दौर बचपन का..!!
बस पता न लग सका की कब बीता दौर बचपन का..!!

बचपन का दौर था या बस एक लम्हा भर था..!!
पलख झपकते ही न जाने हम कब इतने बड़े हो गए..!!

मेरी जिंदगी का वो बेहतरीन हिस्सा है..!!
जिसमें मेरे रोने का किस्सा है..!!

बचपना अब भी वही है हममें..!!
बस ज़रूरतें बड़ी हो गयीं हैं..!!

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बचपन समझदार हो गया..!!
मैं ढूंढता हू खुद को गलियों मे..!!

बड़े होने पर हुआ ये एहसास..!!
बचपन था हमारा बेहद खास..!!

जो सोचता था बोल देता था..!!
बचपन की आदतें कुछ ठीक ही थी..!!

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माँ का आलिंगन, पापा की डाँट..!!
भाई बहन के साथ नटखट सा व्यव्हार..!!

बचपन मे लटटू घुमाते घुमाते..!!
ना जाने कब दुनिया ही घूम गयी..!!

बचपन में शौक़ से जो घरौंदे बनाए थे..!!
इक हूक सी उठी उन्हें मिस्मार देख कर..!!

मैदान में जमा हो कर जम कर खेलते थे..!!
काश वो बचपन और वो दोस्ती फिर से लौट आए..!!

बचपन की कुछ सुनहरी यादें

बचपन में दस रुपए भी दस दोस्त मिल कर खाते थे..!!
पेट तो नहीं भरता था पर मुस्कुराहटों से ज़िन्दगी भर जाती थी..!!

चार दोस्त जो बचपन में हस कर मिला करते थे..!!
आज वक़्त बीतने पर जब फ़ोन कर लो दफ्तर मिला करते हैं..!!

कीचड़ उछालते थे दोस्त बचपन में भी एक दूसरे पर..!!
बस फ़र्क़ इतना होता थे वो बचपन में बारिश का पानी था..!!

खेलने के लिए खिलौने कम बहाने ज्यादा होते थे..!!
सुबह दोपहर शाम हर वक़्त हम चार दोस्त मैदान में होते थे..!!

जन्मदिन की ख़ुशी तो बचपन में होती होती थी..!!
जब जन्मदिन पर पैसे कम और दोस्त ज्यादा हुआ करते थे..!!

वो अखबार बेचता हुआ बच्चा अपना बचपना..!!
दाव पर लगा कर क्या खूब पैसे कमा रहा था..!!

अल्लाह फिर से लौटा दे मुझे वो बचपन के दिन..!!
ज़िन्दगी में कम से कम सुकून से बैठने के लिए..!!
रविवार का इंतज़ार तो नहीं करना पड़ेगा..!!

Bachpan Quotes in Hindi English

बचपन के दिन भी क्या खूब थे..!!
सपने तब भी देखा करते थे..!!
बस उन्हें पूरा करने का डर नहीं था..!!

जब भी बचपन याद आता है..!!
मेरा मन एक बार फिर..!!
से मचल जाता है..!!

दादी-नानी की कहानी में..!!
होता था परियों का फसाना..!!
बचपन था हमारा खुशियों का खजाना..!!

बचपन में घर छोड़कर जाने की धमकी देता था..!!
एक दिन मम्मी ने सामान पैक कर दिया तो डर गया..!!
तब से घर छोड़कर चला जाऊंगा बोलना छोड़ दिया..!!

बड़े होने से मेरा मन डरता है..!!
दिल के कोने में अभी भी..!!
एक मासूम बच्चा है..!!

कंधे की जिम्मेदारियों को बढ़ते देखा है..!!
मैंने अपने अंदर के..!!
बचपन को मरते देखा है..!!

कितना पवित्र था वो बचपन का प्यार..!!
ना भूख थी जिस्म की न था सम्पति का लालच..!!
थी तो बस एक दूजे के साथ की चाहत..!!

बचपन की याद पर कहे गए शेर

बचपन में कुछ ऐसी..!!
होती थी हमारी मस्ती..!!
जैसे बिन किनारे की कश्ती..!!

जिंदगी में जब नहीं था..!!
जिम्मेदारियों का एहसास..!!
इसलिए तो वो बचपन था खास..!!

ना कुछ पाने की आशा ना कुछ खोने का डर..!!
बस अपनी ही धुन..!! बस अपने सपनो का घर..!!
काश मिल जाए फिर मुझे वो बचपन का पहर..!!

उस की आँखों में उतर जाने को जी चाहता है..!!
शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है..!!
कफ़ील आज़र अमरोहवी..!!

चाँदके माथेपर बचपन की चोट के दाग़ नज़र आते हैं..!!
रोड़े..!!पत्थर और गुल्लोंसे दिनभर खेला करता था..!!
बहुत कहा आवारा उल्काओं की संगत ठीक नहीं..!!

बीत गया बचपन आ गई जवानी..!!
देखो खत्म हो गई..!!
गुड्डा-गुड़िया की कहानी..!!

वो बचपन क्या था, जब हम दो रुपए में..!!
जेब भर लिया करते थे वो वक़्त ही क्या था..!!
जब हम रोकर दर्द भूल जाया करते थे..!!

Bachpan ki Shayari

फिर उसके बाद मैं बचपन..!!
से निकल आया था..!!
मोहब्बत मेरी आखिरी श़रारत थी..!!

सब कुछ तो हैं फ़िर क्यों रहूँ उदास..!!
तेरे जैसा मैं भी बन पाता मनमौजी..!!
लतपत धूल-मिट्टी से लेता खुलकर साँस..!!

बचपन की बात ही कुछ और थी..!!
जब घाव दिल पर नही..!!
हाथ-पैरों पर हुआ करते थे..!!

खुदा अबके जो मेरी कहानी लिखना..!!
बचपन में ही मर जाऊ..!!
ऐसी जिंदगानी लिखना..!!

बचपन से हर शख्स याद..!!
करना सिखाता रहा..!!
भूलते कैसे है? बताया नही किसी ने..!!

आँख बंद होते ही खेलने के सपने और..!!
आँख खुलते ही खेलने का ख्याल आता था..!!
बस कुछ ऐसा ही बचपन था मेरा..!!

खेल के मतलब नहीं थे बस खेलना ज़रूरी था..!!
ज़िन्दगी बचपन में कितनी आसान थी..!!
जब इसे काटना नहीं जीना ज़रूरी था..!!

बचपन की यादें

ना जल्दी किसी बात की ना देर हुआ करती थी..!!
वही वक़्त सही था बचपन का जब..!!
हमे वक़्त तक देखना नहीं आता था..!!

दम तो नहीं होता उन बचपन के नन्हे हाथों में..!!
पर फिर भी ज़िद्द इतनी जी-जान से..!!
पकड़ते हैं की पूरी हो ही जाती है..!!

मुझे फिर से वो कल्पना के धागों से बने कम्बल..!!
औढ़ा दे ऐ-ज़िन्दगी या तो बचपन लौट जाए..!!
या मुझे बचपन की और लौटा दे ऐ-ज़िन्दगी..!!

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पतंग नहीं मानो आइना था जैसे..!!
आज हवा में उड़ता हुआ..!!
मुझे मेरा बचपन दिखाई दिया..!!

बंधे नहीं रहते थे किसी ज़िम्मेदारी की..!!
ज़ंजीर से बचपन में..!!
तभी ये नन्हे पॉवं रुकने का नाम नहीं लेते थे..!!

बचपन में कमा तो नहीं सकता था..!!
पर खिलौने बहुत खरीदता था आज कमाता बहुत हूँ..!!
पर खिलौने नहीं खरीद सकता..!!

दुःख की बात है की बचपन में..!!
बचपना सभी को प्यारा लगता है..!!
और जवानी में बचपना बचकाना लगने लगता है..!!

Heart Touching Bachpan Shayari

बचपन सा इन्साफ कहीं नहीं किया..!!
कुदरत ने बचपना इंसान का हो..!!
या जानवर का मासूम ही होता है..!!

एक वो बचपन था जब नन्हे क़दमों ने..!!
हर गली को अपने पैरों से नापा था एक आज है की..!!
ऑफिस के कमरे से बहार नहीं निकल पाते..!!

माँ और मेरे रिश्ते में ज्यादा फ़र्क़ तो नहीं आया..!!
बस बचपन में माँ की डांट से नाराज़ हुआ करते थे..!!
आज माँ की डांट से खफा हो जाते हैं..!!

किताबों की कविताएं बचपन की आज भी याद है..!!
शायद इसीलिए याद हैं क्यूंकि याद रखने के लिए..!!
दिमाग पर ज़ोर नहीं डाला था..!!

हर किसी की गोद में बैठता है हर कोई सर पर चढ़ाता है..!!
गम तो बार बार आते हैं ज़िन्दगी में पर..!!
बचपन ज़िन्दगी में बस एक बार आता है..!!

आज एक राही को राह में बैठे कुछ सोच कर..!!
मुस्कुराते देखा मैं समझ गया ज़रूर उसे..!!
उसका बचपन याद आया होगा..!!

आज भी मैदान तो है पर उन पर खेलता..!!
कोई बच्चा नज़र नहीं आता बच्चे तो आज भी है..!!
पहले की तरह बस उनके अंदर अब बचपना नज़र नहीं आता..!!

बचपन की यादों के लिए शायरी

बचपन जब तक था तब तक सिर्फ इतना पता था..!!
की सिर्फ खिलौनो से खेला जाता है..!!
बड़े हुए तो जाना भावनाओं से भी किसी की खेल सकते है..!!

बचपन का सुकून आज भी याद आता है..!!
माँ के हाथों का खाना उनके ही हाथों से..!!
खाना आज बी याद आता है..!!

अगर ज़िन्दगी मौसमों का संगम है..!!
तो बचपन इसमें सबसे छोटा और..!!
सबसे सुहाना मौसम है..!!

बचपन में खिलौना ही खज़ाना था..!!
पर उसे छुपाने के लिए..!!
तिजोरी पर खर्चा नहीं करना पड़ता था..!!

कन्धों पर बस्ते और कन्धों पर हाथ..!!
मैं दोस्तों संग अपनी धून में..!!
और दोस्त अपनी धून में मेरे साथ..!!

क्या दोस्ती थी बचपन की हमारी..!!
हमे मैदान का क्या पता लगा..!!
हम अपने घर का पता भूल गए..!!

दोस्तों की लड़ाई कट्टा-अब्बा कर के सुलझ जाती थी..!!
वो बचपन में बाते जुबां पर रखते थे..!!
दिल में रखने की आदत नहीं होती थी..!!

Yaadein Quotes in Hindi

बिलकुल नासमझ थी बचपन की दोस्ती..!!
गुरूजी के एक के कान पकड़े जाने पर..!!
हर गलती का इलज़ाम सब मिल कर सर पर लेते थे..!!

मैं और मेरा दोस्त हर कोई हमे आवारा कहा करता था..!!
पर बचपने के चलते मासूमियत थी चेहरे पर..!!
इसलिए हर कोई हमे प्यारा कहा करता था..!!

बच्चों का दिल भी कितना साफ़ होता है..!!
सब खेलते एक साथ है धुप में..!!
पर जलता कोई नहीं है..!!

एक दोस्तों की कामियाबी पर हर दोस्त को नाज़ होता था..!!
वो बचपन की सरलता इतनी सरल कैसे थी..!!
ये भी एक राज़ हुआ करता था..!!

बचपन भी सब बच्चों का एक सा नहीं होता..!!
एक बच्चा कंचे खेलने जा रहा है..!!
तो दूसरा कंचों के कारखाने जा रहा है..!!

दो बच्चे..!! दोनों की उम्र एक पर दास्ताँ अलग..!!
एक बच्चा खाना कूड़े में फेंक रहा है..!!
और एक बच्चा कूड़े से खाना ढूंढ कर खा रहा है..!!

चंद्रयान चाँद पर बैठा हुआ है..!!
और मेरे देश का बच्चा विद्यालय की..!!
कक्षाओं को छोड़ कर दूकान पर बैठा हुआ है..!!

बचपन की यादों पर शायरी ,कोट्स व कविता

हाल मेरे देश के बच्चों का कोई तो सुधार दो..!!
उसे किताब की दूकान पर बैठने से पहले..!!
कम से कम पढ़ना तो सीखा दो..!!

बचपन की तो बात ही खास है..!!
छिप-छिप कर पतंगे..!!
उड़ाना आज भी याद है..!!

बचपन का वो दौर सबको प्यारा होता है..!!
क्यूंकि बच्चे को कोई अपना दुश्मन नहीं..!!
समझता वो सबका प्यारा होता है..!!

काश कुछ देर और चलता वो दौर बचपन का..!!
ये सन्नाटा नहीं भाता चालाकियों का एक पल भी मुझे..!!
वो मासूम शौर ही पसंद हैं बचपन का..!!

सर पर ज़िम्मेदारियों का बोझ नहीं..!!
शरारतें सवार हुआ करती थी..!!
वो दौर-ऐ बचपन भी कितना हसीं था..!!

ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लो..!!
भले छीन लो मुझ से मेरी जवानी..!!
मगर मुझ को लौटा दो बचपन का सावन..!!
वो काग़ज़ की कश्ती वो बारिश का पानी..!!

कुछ अपनी हरकतों से..!!
तो कुछ अपनी मासूमियत से..!!
उनको सताया था मैंने..!!
कुछ वृद्धों और कुछ वयस्कों को..!!
इस तरह उनके बचपन से मिलाया था मैंने..!!

Bachpan ki Yaadein images

अपने बचपन की तस्वीर की और देखा..!!
तो सोचा क्या दौर था..!!
वो भी बचपन का जब ना बाल बनाने आते थे..!!
ना बात बनानी आती थी..!!

वो बचपन ही था जब आँख मूँद कर..!!
हर बात पर विशवास कर लिया करते थे..!!
आज बड़े होने पर कितना भी..!!
यक़ीन दिला लो किसी पर भरोसा नहीं होता..!!

बहाना नहीं चाहिए होता था खुश होने का..!!
ना रोने की कोई ठोस वजह होती थी..!!
ना डांटता था कोई गलतियों पर मुझे..!!
ना गलतियों की कोई ठोस सजा होती थी..!!

ना ही शर्तें होती थी..!!
ना ही नियम-कानून होते थे..!!
वो बचपन की अदालतें शरारतों की..!!
दलील पर चला करती थी..!!

माँ का वो गालों को चूमना..!! बालों को सवारना..!!
वो हर शरारत पर प्यार..!!
वो हर गलती पर मारना..!!
अब वापस कभी लौट कर नहीं आएगा..!!

बचपन में पलकों का वजन ही इतना हलका होता है..!!
की आँख बंद करते ही नींद आ जाती है..!!
अब पलकों पर आंसुओ का वजन इतना बढ़ गया है..!!
की नींद आना भारी हो गया है..!!

पूछा जब किसी ने मुझसे की फ़र्क़ क्या है..!!
बचपन और जवानी में मैंने हस कर कहा..!!
खिलौने किसके पास ज्यादा हैं..!!
बचपन में इसकी हौड़ लगी रहती थी..!!
और दौलत किस पर ज्यादा है..!!
जवानी में इसकी हौड़ लगी रहती है..!!

गांव की बचपन की यादें

मुस्कुराने का मन करता है..!!
तो बचपन को याद कर लेता हूँ..!!
और रोने का मन करता है..!!
तो अपनों को याद कर लिया करता हूँ..!!

मम्‍मी की गोद और पापा के कंधे..!!
ना पैसे की सोच और ना लाइफ के फंडे..!!
ना कल की चिंता और ना फ्यूचर के सपने..!!
अब कल की फिकर और अधूरे सपने..!!
मुड़ कर देखा तो बहुत दूर हैं अपने..!!
मंजिलों को ढूंडते हम कहॉं खो गए..!!
ना जाने क्‍यूँ हम इतने बड़े हो गए..!!

खेल खेलने का कोई वक़्त नहीं था..!!
हर जगह हमारा ही मैदान था..!!
अनजान था तभी बड़ा होने की..!!
ज़िद्द पकड़ी थी क्या करू नादान था..!!

जब तक बच्चे थे बोझ के डर से..!!
कोई सामान तक नहीं उठाने देता था..!!
थोड़े बड़े क्या हुए घर की सारी..!!
ज़िम्मेदारियों का बोझ मेरे कंधो पर डाल दिया..!!

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इंसान जब बच्चा होता है..!!
तब शैतानियां कर के भी मासूम कहलाता है..!!
पर जब बड़ा होता है..!!
तब मासूम रह कर भी शैतान कहलाता है..!!

ना कहाँ जा रहे हैं वो जगह पूछते थे..!!
ना वहां जाने की वजह पूछते थे..!!
बस दोस्त के साथ क़दम से कदम..!!
मिला कर उसके हाल-चाल पूछते थे..!!

मैदान में मना करते थे तो गली में खेलते थे..!!
गली में मना हुआ तो छत पर खेलते थे..!!
बचपन में खेलने का फितूर ही ऐसा था..!!
की घर में बैठना गवारा नहीं था..!!

Bachpan Shayari in Hindi

खिलौनों से खेलने की उम्र में..!!
उसे हर खिलोने का दाम पता था..!!
कौन कहता है आज कल के बच्चो को..!!
पैसे की क़ीमत ही नहीं जानते..!!

पूरा दिन काम कर जेब उस बच्चे की..!!
चिल्लर से भरी हुई थी..!!
पर उसे खाने का वक़्त नहीं मिला..!!
इसलिए पेट खाली था..!!

वो बचपन भी क्या दिन थे मेरे..!!
न फ़िक्र कोई न दर्द कोई..!!
बस खेलो..!! खाओ..!! सो जाओ..!!
बस इसके सिवा कुछ याद नही..!!

मां का आंचल और पापा..!!
के कंधों की याद सताती है..!!
भले ही हो रहे हैं बड़े..!! लेकिन..!!
बचपन की याद अब भी आती है..!!

आज भी याद है..!!
वो बचपन का खिलखिलाना..!!
जब होता था दोस्तों के..!!
साथ रूठना-मनाना..!!

फ़िजूल की बातों पर खूब जोर से हँसना..!!
स्कूल जाने के नाम पर बुखार का चढ़ना..!!
बड़ा ही याद आता है वो धुँधला-धुँधला सा दिन..!!
कहाँ गया मुझे अकेला छोड़कर मेरा बचपना..!!

मोहब्बत की महफ़िल..!!
में आज मेरा ज़िक्र है..!!
अभी तक याद हूँ..!!
उसको खुदा का शुक्र है..!!

बचपन स्टेटस

एक दिन की बात हो..!!
तो उसे भूल जाएँ हम..!!
नाज़िल हों दिल पे..!!
रोज बलाएँ तो क्या करें..!!

कितने खुबसूरत हुआ करते थे..!!
बचपन के वो दिन..!!
सिर्फ दो उंगलिया जुड़ने से..!!
दोस्ती फिर से शुरु हो जाया करती थी..!!

मुस्कुरा कर रह जाता हूँ..!!
जब भी याद आती है वो मस्ती..!!
और जब भी याद आती है..!!
विद्यालय की वो पुरानी बस्ती..!!

भटक जाता हूँ..!!
अक्सर खुद हीं खुद में..!!
खोजने वो बचपन जो..!!
कहीं खो गया है..!!

अधूरा होमवर्क और स्कूल..!!
ना जाने का बहाना..!!
पापा का डांटना..!!
और माँ का हमेशा बचाना..!!

यारों ने मेरे वास्ते क्या कुछ नहीं किया..!!
सौ बार शुक्रिया अरे सौ बार शुक्रिया..!!
बचपन तुम्हारे साथ गुज़ारा है दोस्तो..!!
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तो..!!

कहा भुल पाते है हम बचपन की बाते..!!
सबको याद आती है वो बचपन की बरसाते..!!
भीग जाते थे हम जब बारिशों में..!!
याद आती है वो दोस्तो की मुलाकाते..!!

School Quotes in Hindi

बंधना-बंधाना पसंद ना था..!!
सुनना-सुनाना पसंद ना था..!!
हम कितनी भी बात मनवाले..!!
कोई हमसे बात मनवाये पसंद ना था..!!

सारी उम्र कट जाती है..!!
तन्हाई और अकेलेपन में..!!
ऐ दोस्त, जिंदगी की असली..!!
खुशियाँ होती है बचपन में..!!

अब वो खुशी असली नाव..!!
मे बैठकर भी नही मिलती है..!!
जो बचपन मे कागज की नाव..!!
को पानी मे बहाकर मिलती है..!!

बचपन में हर कोई इसलिए खुश होता है..!!
क्योंकि माँ ही बच्चे की पूरी दुनिया होती है..!!
जिंदगी बड़े ही अजीब तरह से बदल जाती है..!!
जब उसी बच्चे के लिए इस..!!
दुनिया में एक माँ होती है..!!

मिट चले मेरी उमीदों..!!
की तरह हर्फ़ मगर..!!
आज तक तेरे खतों..!!
से तेरी खुशबू न गई..!!!

काश किसी ने बचपन में हमें..!!
School के दिनों की..!!
अहमियत बताई होती..!!
तो हमने बड़े होने में इतनी..!!
जल्दबाजी न दिखाई होती..!!

बचपन की दोस्ती थी..!!
बचपन का प्यार था..!!
तू भूल गया तो क्या तू..!!
मेरे बचपन का यार था..!!

मेरे बचपन की यादें शायरी

ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो..!!
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी..!!
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन..!!
वो कागज़ की कश्ती,वो बारिश का पानी..!!

कागज की कश्ती थी पानी का किनारा था..!!
खेलने कि मस्ती थी दिल ये आवारा था..!!
कहां आ गए समझदारी के दलदल में..!!
वो नादान बचपन ही प्यारा था..!!

बड़ी चोट खायी जमाने से पहले..!!
जरा सोचिये दिल लगाने से पहले..!!
मुहब्बत हमारी नहीं रास आई..!!
लगी आग घर को बसाने से पहले..!!

दादाजी ने सौ पतंगे लूटीं..!!
टाँके लगे, हड्डियाँ उनकी टूटी..!!
छत से गिरे, न बताया किसी को..!!
शैतानी करके सताया सभी को..!!
बचपन के किस्से सुनो जी बड़ों के..!!

बचपन में किसी के पास घड़ी नही थी..!!
मगर टाइम सभी के पास था..!!
अब घड़ी हर एक के पास है..!!
मगर टाइम नही है..!!

वो पूरी ज़िन्दगी रोटी..!!कपड़ा..!!
मकान जुटाने में फस जाता है..!!
अक्सर गरीबी के दलदल में..!!
बचपन का ख़्वाब धस जाता है..!!

चलो, फिर से बचपन में जाते हैं..!!
खुदसे बड़े-बड़े सपने सजाते हैं..!!
सबको अपनी धुन पर फिर से नचाते हैं..!!
साथ हंसते हैं, थोड़ा खिलखिलाते हैं..!!
जो खो गयी है बेफिक्री, उसे ढूंढ लाते हैं..!!
चलो, बचपन में जाते हैं..!!

childhood Quotes Hindi

सुना है कि उसने खरीद लिया है..!!
करोड़ो का घर शहर में..!!
मगर आँगन दिखाने वो आज..!!
भी बच्चों को गाँव लाता है..!!

तेरी यादें भी मेरे बचपन..!!
के खिलौने जैसी हैं..!!
तन्हा होता हूँ..!!
तो इन्हें लेकर बैठ जाता हूँ..!!

कॉलेज के होस्टल में खूब मस्ती की..!!
होस्टल लाइफ को भी काफी अच्छे से जिया..!!
कॉलेज खत्म होने के बाद..!!
हर वक्त उन ”दिनों” को याद किया..!!

बेहद मजबूत होते हैं..!!
ये खास रिश्ते..!!
तभी तो बचपन के..!!
दोस्त कभी नहीं छूटते..!!

कैसे भूलू बचपन की यादों को मैं..!!
कहाँ उठा कर रखूं किसको दिखलाऊँ..!!
संजो रखी है कब से कहीं बिखर ना जाए..!!
अतीत की गठरी कहीं ठिठर ना जाये..!!

शहर भर में मजदूर..!!
जैसे दर-बदर कोई न था..!!
जिसने सबका घर बनाया..!!
उसका घर कोई न था..!!

बचपन में कितने रईस थे हम..!!
ख्वाहिशें थी छोटी-छोटी..!!
बस हंसना और हंसाना..!!
कितना बेपरवाह था वो बचपन..!!

बचपन की दोस्ती शायरी

बाग़ बग़िया और..!!
तितलियों का ठिकाना..!!
घड़े का पानी और..!!
पीपल के नीचे सुस्ताना..!!

बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते थे..!!
तब दिल नहीं सिर्फ खिलौने टूटा करते थे..!!
अब तो एक आंसू भी बर्दाश्त नहीं होता..!!
और बचपन में जी भरकर रोया करते थे..!!

बचपन में आकाश..!!
को छूता सा लगता था..!!
इस पीपल की शाख़ें..!!
अब कितनी नीची हैं..!!

“किसने कहा नहीं आती वो..!!
बचपन वाली बारिश..!!
तुम भूल गए हो शायद..!!
अब नाव बनानी कागज़ की..!!

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जो सपने हमने बोए थे..!!
नीम की ठंडी छाँवों में..!!
कुछ पनघट पर छूट गए..!!
कुछ काग़ज़ की नावों में..!!

बचपन में आकाश को..!!
छूता सा लगता था..!!
इस पीपल की शाख़ें..!!
अब कितनी नीची हैं..!!

साइकिल से स्कूल जाते हुए मस्ती करना..!!
एक-दूसरे की साइकिल को खींचते हुए लड़ना..!!
बहुत ही हसीन वक्त था वो भी..!!
अब तो उन यारों से बहुत कम होता है मिलना..!!

school Shayari in Hindi

बहुत ही संगीन ज़ुर्म को..!!
हम अंज़ाम देकर आए हैं..!!
बढ़ती उम्र के साए से..!!
कल बचपन चुरा लाए हैं..!!

झूठ बोलते थे फिर..!!
भी कितने सच्चे थे..!!
हम, ये उन दिनों की बात है..!!
जब बच्चे थे हम..!!

ठहाके छोड़ आये हैं..!!
अपने कच्चे घरों मे हम..!!
रिवाज़ इन पक्के मकानों..!!
में बस मुस्कुराने का है..!!

यादे बचपन कि भूलती नहीं..!!
सच्चाई से हमको मिलाती नहीं..!!
जीना चाहते है हम बचपन फिर से..!!
पर शरारतें बचपन कि अब हमे आती नहीं..!!

ले चल मुझे बचपन की उन्हीं..!!
वादियों में ए जिन्दगी..!!
जहाँ न कोई जरुरत थी..!!
और न कोई जरुरी था..!!

स्कूल में सब होम वर्क नकल करते थे..!!
बेस्ट फ्रेंड के लिए दूसरे से लड़ते थे..!!
स्कूल की लड़ाई दूसरे दिन भूल जाते थे..!!
फिर सभी आपस में दोस्त बन जाते थे..!!

आमाल मुझे अपने..!!
उस वक़्त नज़र आए..!!
जिस वक़्त मेरा बेटा..!!
घर पी के शराब आया..!!

Bachpan ka pyar Shayari

बहुत ही संगीन ज़ुर्म को..!!
हम अंज़ाम देकर आए हैं..!!
बढ़ती उम्र के साए से..!!
कल बचपन चुरा लाए हैं..!!

बचपन की खेल भी गजब की न्यारी थी..!!
कभी भट से चिढ़ जाना..!!
तो फिर एक पल में भी मान जाना..!!
न कोई रंजिश न कोई गम था..!!
केवल मस्ती भरी दिन थे..!!
और खुशीयों का साया था..!!

जिंदगी की रोज की परेशानियों..!!
से कहीं अच्छे थे वो स्कूल के दिन..!!
भले हम पर बंदिशें थी..!!
फिर भी बड़े अच्छे थे..!!
वो स्कूल के दिन..!!

उम्र ने तलाशी ली तो कुछ लम्हे..!!
बरामद हुए कुछ ग़म के थे..!!
कुछ नम के थे कुछ टूटे..!!
बस कुछ ही सही सलामत मिले..!!
जो बचपन के थे..!!

उलझी शाम को पाने की ज़िद न करो..!!
जो ना हो अपना उसे अपनाने की ज़िद न करो..!!
इस समंदर में तूफ़ान बहुत आते है..!!
इसके साहिल पर घर बनाने की ज़िद न करो..!!

एक इच्छा है..!!
भगवन मुझे सच्चा बना दो..!!
लौटा दो बचपन मेरा..!!
मुझे बच्चा बना दो..!!

वो बचपन क्या था..!!
जब हम दो रुपए में..!!
जेब भर लिया करते थे..!!
वो वक़्त ही क्या था..!!
जब हम रोकर दर्द..!!
भूल जाया करते थे..!!

Bachpan par Shayari

जब दिल ये आवारा था..!!
खेलने की मस्ती थी..!!
नदी का किनारा था..!!
कगज की कश्ती थी..!!
ना कुछ खोने का डर था..!!
ना कुछ पाने की आशा थी..!!

बचपन के दिन सबसे खास होते हैं..!!
इस समय सभी अपने पास होते हैं..!!
जब पढ़ाई के लिए कोई घर से दूर जाता है..!!
तब घर वालों को याद करके रोता है..!!

जिंदगी फिर कभी न..!!
मुस्कुराई बचपन की तरह..!!
मैंने मिट्टी भी जमा की..!!
खिलौने भी लेकर देखे..!!

बचपन में तो शामें..!!
भी हुआ करती थी..!!
अब तो बस सुबह के..!!
बाद रात हो जाती है..!!

घर वाले होते थे मेरी शरारतों से परेशान..!!
लेकिन मुझ में ही बसती थी उनकी जान..!!
मिट जाती थी उनकी हर एक थकान..!!
जब देखते थे वो मेरे बचपन की मुस्कान..!!

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बचपन भी बड़ा अजीब था..!!
हर कोई जीवन में करीब था..!!
क्या बात करूं उस जमाने की..!!
हर रिश्ता खुद में अज़ीज़ था

बचपन में खूब मस्ती थी..!!
पानी में कागज की कश्ती थी..!!
न था कुछ खोने का डर..!!
इसलिए तो जिंदगी हसीन लगती थी..!!

Bachpan pe Shayari

बचपन में नहीं थी घड़ी मेरे पास..!!
लेकिन समय का था खूब साथ..!!
आज जो है घड़ी मेरे पास..!!
लेकिन समय नहीं मेरे साथ

माना बचपन में..!!
इरादे थोड़े कच्चे थे..!!
पर देखे जो सपने..!!
सिर्फ वहीं तो सच्चे थे..!!

बिना समझ के भी..!!
हम कितने सच्चे थे..!!
वो भी क्या दिन थे..!!
जब हम बच्चे थे..!!

वो बचपन कीअमीरी..!!
न जाने कहां खो गई..!!
जब पानी में हमारे भी..!!
जहाज चलते थे..!!

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